क्या कहू कैसी हो तुम
, मेरे जीवन में आई एक सपन पारी जैसी हो तुम !
क्या कहू कैसी हो तुम .
तुम जल तरंग
, बहती पवन सी निर्मल हो तुम .
बचपन की मुस्कान सी तुम ,
अल्हड और नादान सी तुम किसी कवी की रचना सी ,
जीवन की संरचना सी ,
अदभुत एक पारी कल्पना सी बचना इस दुनिया से तुम अभी इससे बिलकुल अन्जान हो तुम .
पूजा के फूलो सी पवित्र ,
पर खुद पूजा के लायक हो तुम
और क्या कहू कैसी हो तुम
,मेरे जीवन में आई एक......अभिषेक
, मेरे जीवन में आई एक सपन पारी जैसी हो तुम !
क्या कहू कैसी हो तुम .
तुम जल तरंग
, बहती पवन सी निर्मल हो तुम .
बचपन की मुस्कान सी तुम ,
अल्हड और नादान सी तुम किसी कवी की रचना सी ,
जीवन की संरचना सी ,
अदभुत एक पारी कल्पना सी बचना इस दुनिया से तुम अभी इससे बिलकुल अन्जान हो तुम .
पूजा के फूलो सी पवित्र ,
पर खुद पूजा के लायक हो तुम
और क्या कहू कैसी हो तुम
,मेरे जीवन में आई एक......अभिषेक
No comments:
Post a Comment