Sunday, February 16, 2014

मेरी सपन पारी

क्या कहू कैसी हो तुम 
, मेरे जीवन में आई एक सपन पारी जैसी हो तुम ! 
क्या कहू कैसी हो तुम . 
तुम जल तरंग 
, बहती पवन सी निर्मल हो तुम . 
बचपन की मुस्कान सी तुम ,
अल्हड और नादान सी तुम किसी कवी की रचना सी ,
जीवन की संरचना सी ,
अदभुत एक पारी कल्पना सी बचना इस दुनिया से तुम अभी इससे बिलकुल अन्जान हो तुम .
पूजा के फूलो सी पवित्र ,
पर खुद पूजा के लायक हो तुम
और क्या कहू कैसी हो तुम
,मेरे जीवन में आई एक......अभिषेक

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