कुछ सालो पहले लिखी अपनी एक कविता आज अचानक याद याद याद आगई ....
रात सपने में एक पारी आई ,
इतलाती बलखाती थोरा सरमाई
भोली सी चंचल सी वो वो देख मुझे धीरे से मुस्काई
कल रात सपने में एक पारी आई
जैसे ईश्वर का वरदान थी वो धरती की मेहमान थी वो
जैसे लेकर प्यार का संदेशा वो आई
इससे पहले कुछ कहती वो
नींद मेरी टूट गयी
वो मुझसे छुट गयी
मैं बस इतना ही कहता रह गया
की क्यों ये सुबह आई
क्यों ये सुबह आई
कल रात सपने में एक पारी आई .......अभिषेक
रात सपने में एक पारी आई ,
इतलाती बलखाती थोरा सरमाई
भोली सी चंचल सी वो वो देख मुझे धीरे से मुस्काई
कल रात सपने में एक पारी आई
जैसे ईश्वर का वरदान थी वो धरती की मेहमान थी वो
जैसे लेकर प्यार का संदेशा वो आई
इससे पहले कुछ कहती वो
नींद मेरी टूट गयी
वो मुझसे छुट गयी
मैं बस इतना ही कहता रह गया
की क्यों ये सुबह आई
क्यों ये सुबह आई
कल रात सपने में एक पारी आई .......अभिषेक
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