Saturday, February 15, 2014

पहला प्यार

जीवन का पहला प्यार जो सभी को जीवन में एक न एक बार जरुर होता है कुछेक को छोड़ बकिओ का ये पहला प्यार बस याद बन कर ही रह जाता है और जब एक ये याद कई सालो के बाद एक हकीकत की तरह अचानक हमारे सामने से गुजरता है तो जो अहसास होता उस अहसास को इन चंद पगंतियो के माध्यम से व्यक्त कर पहले प्यार को समर्पित कर रहा हूँ ..

कैसे भूले उन पलों को जब एक दुसरे में जीते थे तुम और हम
प्रेम के अहसासों से हर पल संभलते थे तुम और हम
छोटी छोटी खुशियों को जीने की वजह बनाते थे तुम और हम
सुद्बुद छोड़ दुनिया की एक दुसरे में बस खो जाते थे तुम और हम
रातों में जब एक दुसरे को सुला के फिर यादो में रात भर जागते थे तुम और हम
फिर अचानक एक दिन मर्यादाओ के बंधन में जब बंध गए तुम
और निराश हदय से अकेले रह गए हम सिर्फ हम
फिर कभी न जीवन में साथ चले तुम और हम
बस यादों के भोझ लिये चलते चले गए हम
फिर कभी भी न कह पाए हम की एक ही हदय में रहते है थे तुम और हम
आज भी गूंजती है तेरी वो बोली जब रोते रोते कहा था तुमने अब बस जुदा होते है तुम और हम
बड़ी कोशिशो के बाद थोरा थोरा अकेले चलना जब सीखे तो फिर अचानक से एक दिन क्यों सामने अगये तुम
और फिर उन अहसासों में नाजाने क्यों जीने लगे हम
फिर एक दिन से जब अचानक दुल्हन के लिबास में जब सामने थे तुम
और देख तुझे दुसरे का होते सच में एक पल के लिये निष्प्राण से हो गए थे हम
आँखों से बहते नीरो को चाह के भी न रोक पाए हम
पर कुछ ही पल में समले हम समझ के इस जीवन की सच्चाई को हम
बस चल पड़े फिर से जीवन के एक अंजान सफ़र पे हम..सिर्फ हम
पर पता है हमको की कभी भूल न पाएगे उन पलों को जब एक दुसरे में जीते थे तुम और हम ...तुम और हम 

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